दिग्गज मनीषा मल्होत्रा का बयान, कहा- टेनिस को बचाना है तो आमूलचूल बदलाव करने होंगे

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पूर्व ओलंपियन और एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता पूर्व टेनिस खिलाड़ी मनीषा मल्होत्रा ने भारत में टेनिस की मौजूदा स्थिति के लिये इसके प्रशासकों को दोषी ठहराते हुए कहा कि अगर देश में इस खेल को बचाना है तो आमूलचूल बदलाव करने होंगे।
पुरुष एकल में सुमित नागल 91वें स्थान के साथ भारत के शीर्ष खिलाड़ी हैं लेकिन उनके प्रदर्शन में निरंतरता की कमी रही है।

रोहन बोपन्ना पुरुष युगल में 16वें स्थान के साथ भारत के शीर्ष खिलाड़ी हैं लेकिन 44 बरस की उम्र में वह अपने करियर के अंतिम चरण में हैं।
महिला एकल में भारत की कोई खिलाड़ी शीर्ष 200 में भी शामिल नहीं है जबकि महिला युगल में भी देश की कोई खिलाड़ी शीर्ष 100 का हिस्सा नहीं है।
महेश भूपति के साथ मिलकर 2002 बुसान एशियाई खेलों में मिश्रित युगल का स्वर्ण पदक जीतने वाली मनीषा ने देश में टेनिस के गिरते स्तर के लिए खेल का संचालन करने वाले अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया।

इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट की अध्यक्ष मनीषा ने ‘भाषा’ से विशेष बातचीत के दौरान कहा, ‘‘वर्तमान में टेनिस की कहानी काफी दुखद है। मैं सोचने लगती हूं कि टेनिस इतना अच्छा खेल था जहां हमारे पास इस खेल की इतनी अच्छी विरासत थी। रामानाथन कृष्णन के समय से ही ऐसा था जिसे हमने पूरी तरह से खत्म कर दियाहै।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज की तारीख में अगर कोई प्रगति नहीं है, कोई खिलाड़ी नहीं है तो यह हमारी ही गलती है। मुझे यह देखकर काफी दुख होता है क्योंकि मैं आज जो भी हूं टेनिस की वजह से हूं। मेरे जीवन में जो कुछ भी है, वह टेनिस की वजह से है। मैं इस बारे में कुछ कर नहीं पा रही हूं जो बैठे हैं (अधिकारी) वे कर भी नहीं रहे और जो कर रहे हैं वह खराब कर रहे हैं।’’

इस पूर्व खिलाड़ी ने कहा, ‘‘बहुत से टेनिस खिलाड़ी मेरे साथ हैं जो यह सोच रहे हैं कि हम बहुत खराब स्थिति में पहुंच चुके हैं और अगर हमें टेनिस को बचाना है तो आमूलचूल बदलाव करने होंगे।’’
मनीषा ने कहा कि टेनिस साथ पिछले कुछ समय में बड़ी समस्या यह रही कि जिन लोगों ने इसका संचालन किया उनके पास कोई योजना और रणनीति ही नहीं थी।
सिडनी ओलंपिक 2000 में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली मनीषा ने कहा, ‘‘टेनिस की समस्या यह है कि हमारे पास संचालन को लेकर कोई योजना नहीं थी। जो महासंघ चला रहे थे, उन्होंने कोई ढांचा और व्यवस्था नहीं बनाई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास कोई जूनियर विकास कार्यक्रम नहीं था और ना ही शिक्षण कार्यक्रम था। जो भी टेनिस खिलाड़ी पैदा हुए हैं या जिन्होंने भी कुछ हासिल किया है, अपने दम पर किया है। उनके अपने क्लब है, अपने माता-पिता से मदद ली। कोई ढांचागत प्रणाली नहीं थी।’’
मनीषा ने कहा, ‘‘जो भी लोग महासंघ का हिस्सा थे उन्होंने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया कि टेनिस के विकास में कैसे सुधार करें। अभी हम जिस स्थिति में पहुंचे है वह बेहद निराशाजनक स्थिति है। आप किसी भी क्लब के कोर्ट में जाकर देख लो वहां कोई खेलने के लिए नहीं है।’’

मनीषा को मलाल है कि अब टेनिस के कोर्ट पिकलबॉल और पैडल कोर्ट में बदल रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘टेनिस के कोर्ट तो पिकलबॉल और पैडल कोर्ट बन रहे हैं, यह बहुत बड़ी समस्या है जिसका हमें जल्द ही समाधान निकालना होगा।’’
एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने के बावजूद मनीषा से सिडनी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने को अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ लम्हा बताया। मनीषा सिडनी खेलों की महिला युगल स्पर्धा में निरूपमा वैद्यनाथन के साथ जोड़ी बनाकर खेलीं थी लेकिन पहले दौर में हारकर बाहर हो गईं थी।

उन्होंने कहा, ‘‘एक खिलाड़ी के रूप में मेरे करियर का सर्वश्रेष्ठ लम्हा सिडनी ओलंपिक में खेलना था। मैंने महेश भूपति के साथ एशियाई खेलों का रजत पदक जीता था लेकिन आप एशियाई खेलों से ओलंपिक की तुलना नहीं कर सकते।
ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल 2026 से हॉकी, कुश्ती और बैडमिंटन जैसे खेलों को हटा दिया गया है लेकिन मनीषा से कहा कि इससे अधिक फर्क नहीं पड़ता।
उन्होंने कहा, ‘‘इनके पीछे बड़ी कहानी होती है। राष्ट्रमंडल खेल स्वयं काफी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उन्हें कुछ खेलों को हटाना था और उन्होंने ऐसा किया। कुश्ती को राष्ट्रमंडल खेलों से हटाने से कोई फर्क नहीं पड़ता अगर ओलंपिक से हटाया होता तो इसका असर पड़ता।

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