मेलबर्न । हॉकी का 2026 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर होना तय है क्योंकि मेजबान शहर ग्लासगो लागत में कटौती करना चाहता है। इसकी जानकारी यहां कई मीडिया रिपोर्ट में दी गई है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) और राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) दोनों इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। हॉकी को 1998 में राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल किया गया था और तब से वह इन खेलों का अभिन्न अंग बना रहा लेकिन मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि ग्लासगो खेलों के आयोजक नेट बॉल और रोड रेसिंग के साथ हॉकी को भी खेलों से हटाना चाहते हैं।
राष्ट्रमंडल खेल 2026 आयोजन पहले ऑस्ट्रेलिया के राज्य विक्टोरिया में होना था लेकिन वह बढ़ती लागत के कारण मेजबानी से हट गया था। इसके बाद स्कॉटलैंड ने इन खेलों की मेजबानी करने के लिए कदम बढ़ाया। खेलों का कार्यक्रम मंगलवार को घोषित किया जाना है। इस संदर्भ में पीटीआई ने जब अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) से संपर्क किया तो उसने कार्यक्रम के आधिकारिक तौर पर जारी होने तक टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘एक-दो दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी और आपको जानकारी मिल जाएगी। हमारी तरफ से जब तक सीजीएफ से कोई आधिकारिक बातचीत नहीं हो जाती तब तक हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं।’’
सीजीएफ ने भी ऐसी ही प्रतिक्रिया दी। हॉकी का खेलों से बाहर रहना इसलिए भी तय माना जा रहा है क्योंकि इन खेलों का आयोजन 23 जुलाई से दो अगस्त तक किया जाएगा जबकि इसके तुरंत बाद 15 से 30 अगस्त तक वावरे, बेल्जियम और अम्स्टेलवीन, नीदरलैंड में हॉकी विश्व कप आयोजित किया जाएगा। राष्ट्रमंडल खेलों से हॉकी का बाहर होना भारत के लिए एक बड़ा झटका होगा क्योंकि उसकी पुरुष टीम इस खेल में तीन बार की रजत विजेता और दो बार की कांस्य पदक विजेता है। महिलाओं ने एक स्वर्ण सहित तीन पदक जीते हैं।