खेल मंत्रालय ने उन अटकलों को खारिज कर दिया है कि एशियाई खेलों या ओलंपिक खेलों में पदक जीतने की संभावना बढ़ाने के लिए देश के प्रतिभाशाली युवा क्रिकेटरों को बेसबॉल खिलाड़ी बनाने पर विचार करेगा।
मंत्रालय ने इस तरह की अटकलों को कपोल कल्पित करार देते हुए कहा कि इस तरह के विचार पर कभी भी किसी भी स्तर पर चर्चा या विचार नहीं किया गया है।
मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि इस सप्ताह की शुरुआत में मिशन ओलंपिक सेल (एमओसी) की बैठक में इस तरह के किसी भी सुझाव पर चर्चा नहीं की गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि बेसबॉल इस समय एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय महासंघ भी नहीं है।
सूत्र ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से काल्पनिक है। बेसबॉल को मंत्रालय से मान्यता भी हासिल नहीं है। साइ (भारतीय खेल प्राधिकरण) क्रिकेट में क्यों आएगा या क्रिकेट खिलाड़ियों को बेसबॉल खिलाड़ी में क्यों बदलेगा।’’
बेसबॉल 1994 से एशियाई खेलों और 1992 से ओलंपिक खेलों का हिस्सा रहा है।
भारत ने इस खेल में कभी भाग नहीं लिया है। देश में एक भारतीय एमेच्योर बेसबॉल महासंघ है जो खेल की वैश्विक संस्था से संबद्ध है, लेकिन यह खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त नहीं है और ना ही सरकार से किसीभी तरह के वित्त पोषण का हकदार है।
मंत्रालय के सूत्र ने कहा, ‘‘एमओसी की बैठक में इस पर चर्चा नहीं की गई। हम यह सुनिश्चित करने में व्यस्त हैं कि हम उन खेलों में सुधार करें और आगे बढ़ें जिनमें हम काफी अच्छा कर रहे हैं। हमारे पास इस तरह की किसी चीज में शामिल होने के लिए समय नहीं है।’’
इस बीच भारतीय क्रिकेट बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘’कोई भी महत्वाकांक्षी क्रिकेटर बेसबॉल की ओर क्यों रुख करेगा। क्या यह व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य करियर विकल्प है। विशेषकर तब जब आपके पास आईपीएल और राज्य टी20 लीग जैसे विकल्प हों। यहां तक कि अनौपचारिक टेनिस-बॉल क्रिकेट लीग भी लगभग 40-50 लाख रुपये प्रति वर्ष की पेशकश कर रही हैं।
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