सैम बहादुर! ये नाम है विक्की कौशल की आज रिलीज हुई फिल्म का। और… यह फिल्म देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की जिंदगी पर आधारित है। फिल्म के बारे में जानने से पहले सैम बहादुर के बारे में जान लेते हैं। उनका संक्षिप्त परिचय ये है कि पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान को अलग कर बांग्लादेश की स्थापना कराने और भारत को मजबूत बनाने में इंदिरा गांधी के साथ-साथ उनकी अहम भूमिका रही। इंदिरा गांधी ने राजनीतिक धुरी पर मजबूत निर्णय लिया तो सैम मानेकशॉ ने सेना के सबसे आला अफसर के रूप में इंदिरा गांधी के इस निर्णय को सफल कर इतिहास रच दिया। उन्होंने इंदिरा गांधी को युद्ध से पहले पर्चे पर लिखकर बता दिया था कि ये जंग कब शुरू होगी। 1971 के इस युद्ध से पहले भी उन्होंने कई मौकों पर वीरता का परिचय दिया। वे सेवा में तब से रहे, जब भारत और पाकिस्तान एक मुल्क हुआ करते थे और अंग्रेजों का राज था। द्वितीय विश्व युद्ध, 1962 के भारत-चीन युद्ध से लेकर अपने चालीस वर्ष के सेवाकाल में उन्होंने कई बड़ी लड़ाइयों में देश को जीत दिलाई।
शुरुआत: बचपन से शुरू हुआ Sam Bahadur
अब आते हैं फिल्म पर। इस फिल्म में विक्की कौशल ने सैम मानेकशॉ का किरदार अदा किया है। ‘राजी’ फेम निर्देशक मेघना गुलजार ने ‘सैम बहादुर’ का निर्देशन किया है। शुरुआत सैम बहादुर के बचपन के उस दौर से होती है, जब वे पालने में झूल रहे होते हैं। माता-पिता ने नाम रखा होता है साइरस, लेकिन वे अपने बच्चे के इस नाम पर चिंतित हो उठते हैं, क्योंकि बीती रात इसी नाम का एक चोर मोहल्ले में पकड़ा जाता है। इसके बाद सैम बहादुर को सीधे सैनिक के रूप में दिखाया गया है, जो वर्दी पहने और सीना ताने नजर आते हैं। सैम बहादुर द्वितीय विश्व युद्ध का हिस्सा बनते हैं। बर्मा जाते हैं। 1962 की लड़ाई लड़ते हैं। कई जंग में हिस्सा लेते हैं, जिन्हें आप फिल्म में देखेंगे।
एक्टिंग: विक्की कौशल के अभिनय का शीर्ष
फिल्म में सैम बहादुर का किरदार विक्की कौशल ने अदा किया। अगर इस फिल्म को विक्की कौशल की अदाकारी का शीर्ष बिंदु कहें तो गलत नहीं होगा। उन्होंने कमाल का अभिनय किया है। सैम मानेकशॉ के किरदार में वे पूरी तरह रम गए हैं। सैन्य अधिकारी वाला रौब, दूरदर्शिता, निर्णय क्षमता, चाल-ढाल और बातचीत करने का अंदाज, हर मामले में विक्की कौशल ने करिश्मा दिखाया है। पर्दे पर उन्हें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस किरदार के लिए उन्होंने कितना डूबकर मेहतन की होगी। उन्होंने अपनी पूरी जान झोंककर सैम मानकेशॉ की भूमिका को निभाया है, बिल्कुल वैसे जैसे सैम मानेकशॉ ने जान झोंककर देश के गौरव को बचाया।
अगर आपको लग रहा है कि यह फिल्म सेना, राजनीति, युद्ध जैसे विषयों पर है तो थोड़ी बोरिंग होगी, तो यह आपका महज पूर्वानुमान है। युद्ध जैसे हालातों के बीच भी इस फिल्म में कई ऐसे मौके आते हैं, जब आप खुलकर हंस पाते हैं। फिल्म देखते हुए आप कल्पना कर सकते हैं कि सैम मानकेशॉ का सेंस ऑफ ह्यूमर कितना कमाल का रहा होगा! इस फिल्म में सिर्फ युद्ध और सेना का अनुशासन ही नहीं है, बल्कि गंभीर स्थितियों के बीच भी कई हंसने वाले दृश्य हैं। पर्दे पर एक जगह वे पीएम इंदिरा गांधी तक से ‘स्वीटी’ कहते नजर आते हैं। इसी तरह बर्मा युद्ध के दौरान शरीर में नौ गोलियां लगने के बाद भी वे मुस्कुराते हैं।
जब आपके पास स्पाई यूनिवर्स की ‘टाइगर 3’ और आज ही रिलीज हुई एक और बड़े सितारे की फिल्म देखने का विकल्प उपलब्ध है, जिसके शो भी सवेरे जल्दी शुरू हो चुके हों तो आप ‘सैम बहादुर’ देखने क्यों जाएं? तो जवाब है- अगर आपको सेना और युद्ध आधारित फिल्में पसंद हैं, इतिहास में रुचि है, देशभक्ति के विषय पसंद हैं तो आंख बंद करके ये फिल्म देखने चले जाइए। यह फिल्म देश के अतीत को लेकर आपकी जानकारी को भी समृद्ध करेगी। परिवार के साथ देखने जाने लायक फिल्म है और बच्चों को एक युद्ध नायक के बारे में बताने का बेहतर मौका है, इससे चूकिए मत।
क्यों न जाएं
जब आपके पास स्पाई यूनिवर्स की ‘टाइगर 3′ और आज ही रिलीज हुई एक और बड़े सितारे की फिल्म देखने का विकल्प उपलब्ध है, जिसके शो भी सवेरे जल्दी शुरू हो चुके हों तो आप ‘सैम बहादुर’ देखने क्यों जाएं? तो जवाब है- अगर आपको सेना और युद्ध आधारित फिल्में पसंद हैं, इतिहास में रुचि है, देशभक्ति के विषय पसंद हैं तो आंख बंद करके ये फिल्म देखने चले जाइए। यह फिल्म देश के अतीत को लेकर आपकी जानकारी को भी समृद्ध करेगी। परिवार के साथ देखने जाने लायक फिल्म है और बच्चों को एक युद्ध नायक के बारे में बताने का बेहतर मौका है, इससे चूकिए मत।
किसी दूसरी फिल्मों से तुलना करना सैम बहादुर की वीरता और विक्की कौशल के अभिनय के साथ नाइंसाफी होगी, लेकिन अगर वजह बतानी ही पड़े तो यह ध्यान रखें कि अगर आपको खालिस मसाला और ड्रामा फिल्में ही रुचती हों तो शायद ये फिल्म आपको कम पसंद आए।
विक्की कौशल ने छुपा दीं सारी खामियां
फिल्म में युद्ध के दृश्यों को भी बहुत बारीकी से नहीं दिखाया गया है। फिल्म के एक दृश्य में सैनिकों का जोश बढ़ाने के लिए सैम मानेकशॉ उनके पास चूड़ियों के साथ संदेश भिजवाते हैं कि ‘बंदूक नहीं उठा सकते तो चूड़ियां पहन लें’। ये संदेश सुनकर सेना का जोश बढ़ जाता है। सैम मानकेशॉ ने वास्तव में ये बात कही या नहीं, इस बहस से अलग…फिल्म में यह दृश्य शायद नहीं दिखाया जाना चाहिए था। इसी तरह के और भी कई बिंदु हैं। हालांकि, मेघना गुलजार के निर्देशन की कुछ कमियों को विक्की कौशल अपने अभिनय से ढंकने में बहुत कामयाब हुए हैं। उन्होंने शुरू से आखिर तक फिल्म को मजबूती से थामे रखा है। बिल्कुल वैसे, ही जैसे सैम बहादुर ने देश की सुरक्षा को।